लेखनी प्रतियोगिता -22-Aug-2024"ग़ज़ल"
ग़ज़ल
मोहब्बत के नाम से अब यह दिल घबरा सा जाता है।
तड़प उठता हर इक आँसू आंख से अंगारा बरसता है।।
अपने चारों तरफ मुझको अंधेरा ही अंधेरा नज़र आता है।
लेता है जब कोई मोहब्बत का नाम मेरे होठों से बस आह निकलता है।।
सिसकियां है दबी होठों के बीच अब तो किसी की बेवफाई में।
मग़र यह दिल है कि उसकी याद में तड़पता ही जाता है।।
संभालो अब हमें कोई कि अब कोई आस का न दीप जलता है।
तन्हाइयों की चादर में यह बदन दिन रात मिरा लिपटा जाता है।।
ज़माना घूम कर देखा नज़र अब वो मुझको ना कहीं आता है।
मग़र दिल है जिद्दी जो हर पल कहता है वो तेरे अंदर रहता है।।
मधु गुप्ता "अपराजिता"
HARSHADA GOSAVI
24-Nov-2024 10:58 AM
V nice
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